श्रावण का पहला सोमवार… पहली बार इंदौर पुलिस बैंड और पहली बार 27 फीट चौड़े मार्ग से सवारी

उज्जैन | महाकाल की पहली सवारी में चार संयोग बने। इस बार सावन के पहले दिन पहला सोमवार रहा। पहली बार इंदौर पुलिस बैंड सवारी में शामिल हुआ। महाकाल सवारी मार्ग पर मकान तोड़ने के बाद पहली बार 27 फीट चौड़े रास्ते से सवारी निकली। सोमवार शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से सवारी शुरू हुई, जो रामघाट पहंुचने के बाद शाम 7.20 बजे मंदिर पहंुची। पहली बार पालकी के साथ ओम लिखा केसरिया ध्वज निकाला गया। सवारी में अधिकारियों की प|ियों के पालकी के पीछे चलने से भी व्यवस्थाएं बिगड़ी। सवारी मार्ग पर गणगौर दरवाजा से सत्यनारायण मंदिर तक नगर निगम ने हाल ही चौड़ीकरण किया है। यहां 27 फीट चौड़ी सड़क से पहली बार सवारी निकली तो दोनों ओर हजारों लोगों ने बाबा के दर्शन किए। चौड़ीकरण से पहले यह मार्ग 15 फीट चौड़ा था।

पालकी की सुरक्षा के लिए 100 मीटर लंबे और एक क्विंटल वजनी रस्से का घेरा बनाने वाले जिले के 67 जवानों में नरेंद्रसिंह परिहार 1992 से शामिल हो रहे हैं। परिहार रस्से के बीच में रहते हैं और कमर से रस्से को खींच कर चलते हैं। उनके सहयोगी चंद्रपालसिंह, लोकेंद्रसिंह, इंद्र विक्रमसिंह हैं।

महाकाल की दूसरी सवारी 17 जुलाई को

श्रावण-भादौ मास में इस बार महाकाल की कुल 7 सवारियां निकलेगी। दूसरी सवारी 17 जुलाई सोमवार को आएगी। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया इस सवारी में हाथी शामिल होगा। हाथी पर मनमहेश का चांदी का मुघौटा रहेगा तो पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। आखिरी सवारी 21 अगस्त को निकलेगी।

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